आरती युगलकिशोर की कीजै । तन मन धन न्यौछावर कीजै ।।
गौरश्याम मुख निरखत रीजै । हरि का स्वरुप नयन भरि पीजै ।।
रवि शशि कोट बदन की शोभा । ताहि निरखि मेरो मन लोभा ।।
ओढ़े नील पीत पट सारी । कुंजबिहारी गिरवरधारी ।।
फूलन की सेज फूलन की माला । रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला ।।
कंचनथार कपूर की बाती । हरि आए निर्मल भई छाती ।।
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी । आरती करें सकल ब्रज नारी ।।
नन्दनन्दन बृजभान, किशोरी । परमानन्द स्वामी अविचल जोरी ।।
Wednesday, March 3, 2010
बुधवार की आरती
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