जय लक्ष्मी माता, ऊँ जय लक्ष्मी माता । तुमको निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता ।। टेक ।।
ब्रहमाणी रुद्राणी कमला तू ही है जगमाता । सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता ।। जय 0 ।।
दुर्गा रुप निरंजन सुख सम्पत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्याता ऋद्घि सिद्घि पाता ।। जय 0 ।।
तू ही है पाताल बसंती, तू ही शुभ दाता । कर्म प्रभाव प्रकाशक जगनिधि की त्राता ।। जय 0 ।।
जिस घर थारो बासा ताहि में गुण आता । कर न सके सोई कर ले मन नहिं धड़काता ।। जय 0 ।।
तुम बिन यज्ञ न होवे वस्त्र न कोई पाता । खान पान का वैभव तुम बिन नहीं आता ।। जय 0 ।।
शुभ गुण सुन्दर युक्ता क्षीर निधि जाता । रत्न चतुर्दश ताको कोई नहीं पाता ।। जय 0 ।।
श्री लक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता । उर आनन्द अति उपजे पाप उतर जाता ।। जय 0 ।।
स्थिर चर जगत रचाये शुभ कर्म नर लाता । तेरा भक्त मैया की शुभ दृष्टि चाहता ।। जय 0 ।।
Wednesday, March 3, 2010
आरती श्री लक्ष्मी जी की
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment