जय जय श्री शनिदेव भक्तन हिकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय ।।
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नालाम्बर धार नाथ गज की अवसारी ।। जय ।।
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ।। जय ।।
मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय ।।
दे दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय ।।
Wednesday, March 3, 2010
आरती श्री शनिदेव जी की
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment